क्यूँ इस तरह हर मोड़ पर इम्तेहान है ..
दर्द है मगर उसमे भी चुप्पी मुस्कान है ..
तू है तोह सब कुछ है .. एक तू ही तोह मेरा सारा जहां है ..
तू नाराज़ तोह सब कुछ नाराज़ मुझसे..
तेरे बिना कुछ न आसान .. जाना है सब फिर भी क्यूँ अनजान है ..
यह तोह होना ही था .. तुझे इस तरह तोह खोना ही था ..
जब तू था ही किसी और का .. तोह क्या मेरा रोना ..
तुझे फिर उसका तोह होना ही था ..
यह तोह होना ही था ..
यह दिल दिल नहीं एक खिलौना ही था ..
गर रखना था तुझे अपनी दुनिया का हिस्सा बनाकर ..
तोह ज़िन्दगी के इन बिखरे मोतियों को तोह पिरोना ही था ..
यह तोह होना ही था ..
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